रख दो इन कांपती हथेलियों पर कुछ गुलाबी अक्षर कुछ भीगी हुई नीली मात्राएं बादामी होता जीवन का व्याकरण, चाहती हूं कि उग ही आए कोई कविता, अंकुरित हो जाए कोई भाव...
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