साथ की सुंदर यात्रा के तीन बरस होने को है
और मैं अपनी मन-मंजूषा में रखे
तुम्हारे दिए हर शब्द-मोती, मनके और सितारे देख रही हूं
बीती स्मृतियों की माला पिरो रही हूं..
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