$ 0 0 छलक गए आखिर इस पल में उनकी नफरत के पैमाने। मुसकानें अधरों पर लादे वर्षों तक जो साथ चले थे, या यूं कह लो गर्दन तक वे अहसानों के बोझ तले थे,