प्यार का मर्म मालूम होता अगर,
दिल हमारा कभी तुम दुखाते नहीं। नाम जबसे तुम्हारा लिया है प्रिये, चम्पई-चम्पई तन हमारा हुआ। मन के आंगन में जब मुस्कुराए थे तुम,
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