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Channel: प्रेम-गीत
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दो मौलिक कविताएं : लोग

आंसू याद रख खुशियां भुला देते हैं, मानसून आंखों में बसा लेते हैं लोग। फूल की महक लेकर भुला देते हैं, कांटों को दामन से लगा लेते हैं लोग। बातों-बातों में मुर्दे गड़े उखाड़ लेते हैं,

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हिन्दी प्रेम कविता : वह घूम रही उपवन-उपवन...

वह घूम रही उपवन-उपवन पुष्पों-सी नजाकत अधरों पर, नवनीत-सा कोमल उर थामे। एक पाती प्रेम भरी लेकर वह घूम रही उपवन-उपवन। सुर्ख कपोलों पर स्याह लटें धानी आंचल का कर स्पर्श।

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हिन्दी कविता : एक मंदिर हो तुम...

एक मंदिर हो तुम प्रेम का देवता खुश हुआ तो, मेरी जिंदगी में तुम आ गए, आ गए, आ गए। दो दिल जब मिल साथ में चले तो, थम गए राह के काफ़िले, काफ़िल। यूं ही नहीं मैंने तुम्हें चाहा है,

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प्रेमगीत : ये इशारे कहें प्यार हो ही गया...

तेरी पलकें झुकी देखते ही मुझे, मैंने माना कि इजहार हो ही गया। होठ तेरे गुलाबी गुलाबी हुए, ये इशारे कहें प्यार हो ही गया। जब बसंती हवा शोर करने लगी,

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रोमांटिक कविता : प्रेम की आईसीयू

जिंदगी के साथ कोई मेरा हमसाया हो गया। एक लड़की से क्या मिला, मैं उसकी छाया हो गया, रिश्ता होते ही जिंदगी में वह हो गई सब कुछ यारों मैं खुद अपने लिए पराया हो गया। सुबह, दोपहर, शाम, रात बस बातें ही बातें

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रोमांस शायरी : प्यार बाकी...

अभी तो मेरे प्यार का शबाब बाकी है, अभी न जाओ के अभी तो रात बाकी है, तेरी आंखों से जो छलका वो पैमाना बाकी है,

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रोमांस कविता : एक बार तो कहते...

एक बार तो कहते मत जाओ तुम मेरी हो, एक बार तो कहते आ जाओ तुम मेरी हो। मन की पहली धड़कन तुम्हीं थे, तन की पहली सिहरन तुम ही थे। आंखों में तुम प्रथम दृष्ट्या प्रेमी थे,

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प्रेम गीत : प्रेम की अंतिम व्याख्या...

मीरा का प्रेम, प्रेम की अंतिम व्याख्या है। कृष्ण से शुरू, कृष्ण पर समाप्त मीरा के प्रेम में मीरा कहीं नहीं हैं, सिर्फ कृष्ण ही कृष्ण दृष्टव्य हैं। मीरा के पास प्रेम में देने के अलावा, कृष्ण से लेना शेष...

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प्रेम काव्य : शम्मा जलती रही...

शम्मा जलती रही, रात ढलती रही, बात बन-बन के यूं ही बिगड़ती रही। चांद हंसता रहा बेबसी पर मेरी, आंख रिसती रही यादों में तेरी। वक्त चलता रहा प्रीति झरती रही, शम्मा जलती रही, रात ढलती रही।

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प्रेम कविता : मोहब्बत...

दिमाग की असंख्य कोशिकाओं से छूटता है एक इलेक्ट्रिकल संदेश और फिर शुरू होता है रसायन का खेल जिसे हम मोहब्बत कहते हैं..... कमबख्त केमिकल

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प्रेम गीत : प्यार का मर्म...

प्यार का मर्म मालूम होता अगर, दिल हमारा कभी तुम दुखाते नहीं। नाम जबसे तुम्हारा लिया है प्रिये, चम्पई-चम्पई तन हमारा हुआ। मन के आंगन में जब मुस्कुराए थे तुम,

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प्रेम गीत : पिया संग प्रेम रंग

चारु चन्द्र मन मतंग पिया संग प्रेम रंग लगी अंग। दीप्त दामनी चटक चांदनी मन भावनी प्रेम पावनी प्रीत रागनी।

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प्रेम कविता : जब पहनती हो तुम श्वेत रंग

जब पहनती हो तुम श्वेत रंग मैं महक उठता हूं मोगरा, चमेली और चंपा की सुगंध से जब होती हो तुम गुलाबी वसना मेरे मन आंगन में बरसने लगते हैं सैकड़ों गुलाब ....पढ़ें प्रेम कविता...

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रोमांस गीत : प्यार की संभावना...

भव्य-सी तुम भावना हो, मधुर-सी सद्भावना हो। सादगी में खुद को समेटे, प्यार की संभावना हो। भाव आंखों में समेटे, लाज तन से लपेटे।

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हिन्दी कविता : बूंद की मानिंद...

एक अहसास बूंद की मानिंद चिपका है तुम्हारे गुलाबी अस्तित्व में। बहुत कोशिश के बाद भी न झुठला सका इस सत्य को

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प्रेम कविता : उसकी याद फिर से आई है...

उसकी याद फिर से आई है, दूर कहीं गूंज उठी शहनाई है। रात रो-रोकर कटी है कहीं पर, कहीं सुबह हो रही विदाई है।

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प्रेम गीत : मन का संगीत...

मन का संगीत मिटने न देना कभी, वरना जीवन का पहिया उलझ जाएगा। प्यार के आचमन का मुहूरत नहीं, जब भी जी चाहे अपना बना लीजिए।

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प्रेम कविता : संकोच

शर्मे हयात गर तू यूं करती रही जिन्दगी की पतवार फिर, न संभले कभी बीत जाएगी जिन्दगी मेरी, फिर उस जहां में जहां हुस्ने-मलिकाएं नित संवरती रही'

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प्रेम गीत : सुन प्रिये...

सुन प्रिये तूने क्यों ऐसा किया, क्यों प्यार हमारा भुला दिया। हर बार भरोसा दे देकर, हर बार भरोसा तोड़ा है दिल मेरा ऐसे तड़प रहा, जैसे तेल में तल रहा पकौड़ा है।

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रोमांस कविता : यौवन के पखवाड़े में...

यौवन के पहले पखवाड़े में, कुछ अजब शरारत सूझ रही। मेरे मन की अभिलाषा खुद, मुझसे प्रश्न यूं पूछ रही।

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