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Channel: प्रेम-गीत
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प्यार न किया होता बेपनाह...

काश प्यार न किया होता बेपनाह, दिल लगा के लगता है कर दिया कोई गुनाह, दिन अब जलते हैं और रातें सुलगती हैं, किनारों से लड़ती लहरों में मुझे मेरी तड़प झलकती है।

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ग़ज़ल : उम्र भर सवालों में उलझते रहे...

उम्र भर सवालों में उलझते रहे स्नेह के स्पर्श को तरसते रहे, फिर भी सुकूँ दे जाती हैं तन्हाईयाँ आख़िर किश्तों में हँसते रहे

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ग़ज़ल : दर पे खड़ा मुलाकात को...

दर पे खड़ा मुलाकात को तुम आती भी नहीं, शायद मेरी आवाज़ तुम तक जाती भी नहीं।

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प्रेम कविता : मैंने इश्क़ किया

मैंने इश्क़ किया और बस आग से खेलता रहा' एक घड़ी जलता रहा, एक घड़ी बुझता रहा ।।1।।

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रोमांस कविता : ये गुफ़्तगू क्या है...

है नहीं यकीन तुमको है, नहीं यकीन मुझको, फिर ये खत-दर-खत गुफ़्तगू क्या है।।1।।

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प्रेम गीत : नाराज़ हैं मेहरबाँ मेरे

नाराज़ हैं मेहरबाँ मेरे,अब आ भी जाओ,कि अंजुमन को तेरी दरक़ार है, ढूँढता रहा,

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प्रेम गीत : चोरी-छिपे मोहब्बत निभाता रहा

वो गया दफ़अतन कई बार मुझे छोड़के, पर लौटकर फिर मुझ में ही आता रहा। कुछ तो मजबूरियां थीं उसकी अपनी भी, पर चोरी-छिपे ही मोहब्बत निभाता रहा।

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प्रेम गीत : मेरे आंसुओं से कहानी न पूछो

मेरे आंसुओं से कहानी न पूछो वो तुमको भी आकर रुला जाएंगे झूठी कहानी और झूठा फसाना

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प्रेम कविता : बात मुद्दत से जो थी आंखों में....

बात मुद्दत से जो थी आंखों में आज लबों पे उतर आई है तू मेरे इश्क की इबारत है तू इसे पढ़ न पाई है

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कविता : आ जाती हैं कुछ यादें

धूल की पर्तों के नीचे तस्वीरों में अहसास जगाती हुई, ख़्वाहिशें कांधे पे लिए कुछ इठलाती हुईं, आ जाती हैं कुछ यादें दिल को बहकाती हुईं।

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प्रेम गीत : मुझको दीवाना कह लो

तुम्हे प्यार नहीं तो क्या मुझको दीवाना कह लो। उम्मीदे वफ़ा नहीं तो क्या, मुझको दीवाना कह लो।

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और मैं लिखता रहूंगा कविता तुम्हारी याद में...

ओस की बूंद आकाश से गिरकर, फूलों और पत्तियों पर ठहर जाएगी। रातभर रोया है चांद किसी की याद में, यह कहानी धरा

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कविता : कुछ गड़बड़ है!

देख रही हूं कुछ गड़बड़ है, ये बेचैनी और ये हड़बड़ है!! मोहब्बत नई दिखे है जालिम, बोली में भी तेरे खड़खड़ है!!

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प्रेम गीत : धूं धूं कर दहक रहा

तेरी याद जीने नहीं देती दायित्वों का ख्याल मरने नहीं देता। जिस्म पर निशान हलके फुल्के लगते है, अंतरमन धूं धूं कर दहक रहा है।

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प्यार न किया होता बेपनाह...

काश प्यार न किया होता बेपनाह, दिल लगा के लगता है कर दिया कोई गुनाह, दिन अब जलते हैं और रातें सुलगती हैं, किनारों से लड़ती लहरों में मुझे मेरी तड़प झलकती है।

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ग़ज़ल : उम्र भर सवालों में उलझते रहे...

उम्र भर सवालों में उलझते रहे स्नेह के स्पर्श को तरसते रहे, फिर भी सुकूँ दे जाती हैं तन्हाईयाँ आख़िर किश्तों में हँसते रहे

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ग़ज़ल : दर पे खड़ा मुलाकात को...

दर पे खड़ा मुलाकात को तुम आती भी नहीं, शायद मेरी आवाज़ तुम तक जाती भी नहीं।

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प्रेम कविता : मैंने इश्क़ किया

मैंने इश्क़ किया और बस आग से खेलता रहा' एक घड़ी जलता रहा, एक घड़ी बुझता रहा ।।1।।

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रोमांस कविता : ये गुफ़्तगू क्या है...

है नहीं यकीन तुमको है, नहीं यकीन मुझको, फिर ये खत-दर-खत गुफ़्तगू क्या है।।1।।

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प्रेम गीत : नाराज़ हैं मेहरबाँ मेरे

नाराज़ हैं मेहरबाँ मेरे,अब आ भी जाओ,कि अंजुमन को तेरी दरक़ार है, ढूँढता रहा,

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