Quantcast
Channel: प्रेम-गीत
Viewing all articles
Browse latest Browse all 255

कविता : श्रृंगार पथिक (वियोग श्रृंगार)

$
0
0
ये प्यार की विधाएं समझे नहीं समझता, कब अश्रु जल बरसता, कब प्रेम रस सरसता। अब तो हुआ हूं बेसुध बिलकुल नहीं सम्हलता, कब प्यार में भटकता, कब दिल मेरा तड़पता।

Viewing all articles
Browse latest Browse all 255

Trending Articles